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क्या...?,छत्तीसगढ़ में एक बार फिर लोकसभा चुनाव में धान खरिदी बना रहेगा बड़ा मुद्दा...

 क्या...? छत्तीसगढ़ में एक बार फिर लोकसभा चुनाव में धान खरिदी बना रहेगा बड़ा मुद्दा...

मैं प्रदीप मानिकपुरी संपादक,आज की लेख में मैं उन मुद्दों को लेकर लिख रहा हूँ जो पिछले चुनावों में मुख्य रहें हैं। आप सभी को मालूम है कि पिछले दो तीन चुनावों में धान खरिदी मुख्य मुद्दा बना हुआ है। या यूं कहा जा सकता है कि पिछले चुनावों में किसानों की मुख्य भुमिका रही है। वैसे तो किसान अपने फसल की उचित किमत की मांग को लेकर हमेशा से डटी रही है। बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां पूर्व कार्यकाल से पहले पंद्रह सालों में बीजेपी की सरकार रही है। इस दौरान भी मुख्य मुद्दा किसान के साथ रोजगार व मंहगाई मुख्य मुद्दे रहें हैं। परंतु बीजेपी ने तीसरे कार्यकाल के दौरान किसानों को धान खरिदी में बोनस देने की घोषणा की गई,परंतु उक्त वायदे पुरे नहीं कर पाये। जिसके चलते किसानों में बीजेपी के प्रति नाराजगी देखी गई। जिसका सीधा-सीधा फायदा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2018-19 में मिला। जहाँ तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। एक ओर जहाँ छत्तीसगढ़ में सरकार बचाने और बनाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी ताकत झोंक दी थी। राज्य की सत्ता में आने की कोशिश कर रही कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों की कर्जमाफी से लेकर बिजली का बिल आधा करने का वादा किया।

घोषणा पत्र 24 जिले में अलग-अलग वर्गों के लोगों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया। इसमें विकास के 36 लक्ष्यों को शामिल किया गया,घोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार के गठन के 10 दिनों के भीतर किसानों को ऋण में छूट देने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न फसलों पर एमएसपी तय करने की घोषणा की गई। चावल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2500 रुपये और मक्का का समर्थन मूल्य 1700 रुपये करने का वादा किया गया। साथ ही राहुल गांधी ने पूर्ण शराबबंदी लागू करने की घोषणा की,इसके बाद परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आया और 68 सीटें जीतकर विधानसभा चुनाव 2018 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना ली। कांग्रेस ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की सपथ दिलाई,जहाँ मुख्यमंत्री की सपथ लेते ही तत्काल किसानों के कर्जे माफ किए जिससे कांग्रेस के प्रति जनता में विश्वास जगी। इन पांच सालों में कांग्रेस ने किसान के हित को लेकर,कई बड़े फैसले लिए। छत्तीसगढ़ की किसान समृद्ध होने लगे,लेकिन इस बीच कांग्रेस ये भूल गई कि राज्य में किसानों के आलावा अन्य (अधिकारी कर्मचारियों) भी निवासरत है और उनके लिए कुछ खास नहीं कर पाये। जिसका नतीजा विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को भुगतना पड़ा और एक बार फिर छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बन गई है।इसके साथ ही बीजेपी ने 12 राज्यों में सरकार बना ली है।

सभी पार्टियां लोकसभा चुनाव में मसगूल,वहीं बीजेपी 400 के पार के कर रहें दावे...

हाल में सभी पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुटी हुई है। बीजेपी छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। बीजेपी इस बार लोकसभा में 400 पार के दावे कर रहें हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटें जीतने के लिए एडी चोटी एक कर दी है। दूसरी ओर देखा जाए तो सभी विपक्षी दल मिलकर “इंडिया” गठबंधन के जरिए बीजेपी की मोदी सरकार को टक्कर देने रणनीति बना रही है। परंतु उक्त संगठन में सिटों को लेकर सामंजस्य नहीं बना पा रहें है। जिससे सभी दलों का एक साथ संगठन में रहकर उम्मीदवार उतार पाना संभव नहीं लग रहा।

लोकसभा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मिल सकती बड़ी जिम्मेदारी.....

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को अहम जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बघेल को तत्काल प्रभाव से बिहार में भारत जोड़ो न्याय यात्रा और अन्य पार्टी गतिविधियों के समन्वय के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। जिससे ये कयास लगाये जा रहें कि श्री बघेल को आगामी समय में केन्द्र में बड़ा स्थान मिल सकता है। साथ ही लोकसभा के चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी भी सौपी जा सकती है। जिससे क्या..? एक बार फिर किसान हितैषी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यहाँ की जनता मौका दे सकती है।

छत्तीसगढ़ के लिए धान खरिदी के बाद उठाव व रखरखाव हो सकते हैं मुख्य मुद्दे.....

छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरिदी 1 नवंबर से 31 मार्च 2024 तक रहा इसके बाद भी कुछ किसान नहीं बेच पाये थे,जिसके चलते नवनिर्वाचित बीजेपी सरकार ने 4 फरवरी तक धान खरिदी का समय बढ़ाकर खरिदी की। लेकिन अब धान खरिदी के बाद उठाव व रखरखाव बड़ी समस्या बनी हुई है। पिछली कांग्रेस के सरकार के दौरान धान उठाव की व्यवस्था अच्छी रही है। वहीं बीजेपी की सरकार बनते ही एक बार फिर खरिदी केन्द्रों में धान जाम हो गई है,जो खरिदी प्रभारियों के लिए मुसीबत बनी हुई है। नतिजतन खरिदी प्रभारी सहित इससे जुड़े लोग पांच पहले बीजेपी सरकार में जो स्थिति थी,उसे याद करने लगे हैं। जो  विपक्ष के लिए लोकसभा चुनाव में बड़े मुद्दे हो सकते है।

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