बलौदाबाजार/चन्द्रकान्त मानिकपुरी
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तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अधिवक्ता संघ हुआ उग्र तहसीलदार के खिलाफ खोल मोर्चा
बताते चले कि आज कल तहसीलदारों और अधिवक्ताओ के बीच शीत युद्ध सा माहौल है रायगढ़ से उठी आग सभी जगह फैलता नजर आ रहा है इसी क्रम में आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले तहसील बलौदा बाजार में अभिभाषक (अधिवक्ता) संघ पूरे तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार पर और विशेष कर तहसीलदार प्रियंका बंजारा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अधिवक्ता संघ ने या निर्णय लिया है कि पूरे बलौदाबाजार में बाइक रैली निकालकर और तहसील न्यालय में नही जाकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे हमारे संवाददाता ने जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष सारिक खान से की खास बातचीत बात चित
★ क्या मुख्य तीन बिंदु थे जिसपर अधिवक्ता संघ की परिचर्चा हुई
अध्यक्ष-मुख्य रूप से तहसील न्ययालय में व्याप्त भ्र्ष्टाचार और जिनकी पूरी ज़िमेदार तहसीलदार बलौदाबाजार है ये मुख्य बिंदु थे।।
★ किस तरह के भ्र्ष्टाचार व्याप्त है तहसील कार्यलय में।।
अध्यक्ष-पूरा तहसील भ्रस्ट है चपरासी से लेकर तहसीलदार तक सभी कोई भी काम समय पर और बिना पैसे लिए नही होता मैं खुद अपने काम के लिए 6 महीने से भटक रहा हु।।
★ आप के हिसाब से इसका जिम्मेदार कौन है।
अध्यक्ष- यहा कि तहसीलदार पूरी ज़िमेदार है।।
★ हमारे चैनल के माध्यम से आप क्या मांग रखना चाहेंगे।
अध्यक्ष-हम सब तहसीलदार के ट्रान्सफर और तहसील में अति व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म हो समय सीमा में काम हो,अधिवक्ताओ के सम्मान का पूरा घ्यान अधिकारियों को रखे, ताकि न्याय समय मे और सरल कर्म में आम लोगो तक पहुँच सके।।
हमारे संवादाता को तहसील के एक किसान ने बड़े मजाकिया ढंग से बताया
5 माह से चक्कर लगा रहा हु और मिलता है तो सिर्फ तारिक....?
बताते चले कि तहसील कार्यालय बलौदाबाजार महज फौती उठाने जिसमे 30 दिवस के भीतर निराकरण करना हो उसमे 5 से 6 माह लग रहा है किसान बकायदा अपने वकील के साथ आते हैं और उन्हें कुछ न कुछ कानून बताकर अगली पेसी दे दिया जाता है पांच छ: माह से तहसील कार्यलय के चक्कर काट रहे हैं किसान से हमारे सवांददाता ने बात की तो किसान ने बताया कि लगभग 5 माह से अपनी बड़ी दीदी का फौती उठाने तहसील आ रहा हु मेरी उम्र लगभ 74 वर्ष है, 1985 में बटवारा हो गया है मेरे पास 2 पर पर्ची थी सायद मानवीय भूल से एक पर्ची जिसमे लगभग 47 डिसमिल जमील को छोड़ दिया था अभी 2 साल पहले ही पाता चला कि मेरी बहनो और चाचा का नाम है उसमें मेरी दोनो बड़ी बहन का फौत हो गया है ,पता नही मेरी बड़ी दीदी का फौती किसने उठाया हम किसी भी खातेदार को जानकारी नही है पर हा न जाने कैसे फौती उठ गया मगर आज जब हम सब खातेदार शपत पत्र के साथ उपस्थित हो रहे हैं फिर भी हमारी फौती नही उठ रहा है लगभग बहनो को बुलाने लेने ले जाने शपत बनवाने इन सब मे दस हजार खर्च हो गए हैं, न जाने कब फौती उठेगा।।
किसान हितैसी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले राज्य के मुख्यमंत्री ने शपत लेते ही किसानों को बिना किसी परेशानी व समस्या के राजस्व के सारे मामले का निराकरण करने के लिए ही नामांतरण पंजी पटवारी के अधिकार क्षेत्र से बाहर करके उन्हें तहसील कार्यालय में तहसीलदार को दिया गया था की अब फौती,नामांतरण तहसील कार्यालय में उठाई जाएगी किंतु देखते ही देखते आज ऐसा प्रतीत होता है,कि किसान उस समय से इस समय ज्यादा परेशान है और पहले से ज्यादा पैसे किसानों को लगता है। चीजें जो बहुत सरल क्रम में किसानों से हो जाती थी वह एक कठिन प्रक्रिया के दौरान किसानों को करना पड़ रहा है।
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